शब्दाचा अर्थ
सत्यम शिवम सुंदरम याचा अर्थ काय?
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सत्यम शिवम सुंदरम याचा अर्थ काय?
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सत्यम, शिवम, सुंदरम' मंत्र किंवा बीजारोपाचा मंत्र याप्रमाणे, हे या विश्वाचे कल्याणकारी सामर्थ्य आहे. सौंदर्य म्हणजे कोणत्याही शारीरिक किंवा नैसर्गिक सौंदर्याचा अर्थ नाही. तो क्षणभंगूर आहे. सौंदर्य हे एक पवित्र मन, कल्याण आणि आनंददायी वर्तन आहे. शिव हा सौंदर्याचा अनंतकाळचा स्त्रोत आहे. परंतु शिवांचे सौंदर्य हे दैवी प्रकाश आहे, जे या भौतिक डोळ्यांसह पाहिले जाऊ शकत नाही, ते फक्त अध्यात्मिक ज्ञान, बुद्धी आणि भेदभाव यांच्याद्वारेच समजू आणि समजते. त्यांचे गुण आणि शक्ती अनुभवले जाऊ शकतात. चिंतन स्थितीत, दोन गर्भस्थांमध्ये एक ज्योतच्या स्वरूपात अग्रेसर असलेल्या मध्यभागी अनुभवायला मिळू शकतो. गीता मध्ये एक धारणा आहे की भगवदाने त्याच्या दृष्टीसंबंधातील दिव्य डोळ्याच्या स्वरूपात अलौकिक बुद्धीचा प्रकाश प्रकट केला आहे.
अर्थात
सत्यम् म्हणजे खरे,
शिवम् म्हणजे कल्याण, कल्याणकार,
आणि
सुन्दरम् म्हणजे मनोहर...
कल्याणात सुंदरता आहे आणि तेच सत्य आहे...
धन्यवाद...!
अर्थात
सत्यम् म्हणजे खरे,
शिवम् म्हणजे कल्याण, कल्याणकार,
आणि
सुन्दरम् म्हणजे मनोहर...
कल्याणात सुंदरता आहे आणि तेच सत्य आहे...
धन्यवाद...!
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सत्यम शिवम सुन्दरम
भगवान शिव के वर्णण करने का एक तरीका है ! परन्तु इसका यदी अर्थ समझ लिया जाय तो व्यक्ती अपने जीवन को सुंदर, प्रगतिशील बना सकता है ! आपका जीवन मधुर और सार्थक हो जायेगा ! इस पोस्ट को लिखते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि सब कुछ सरल भाषा मैं हो!
हिंदू मान्यता के अनुसार, विश्व का कार्य तीन भागो मैं है, जो इस प्रकार है :
1. श्रृष्टि रचेता: चुकी श्रृष्टि की रचना अत्यंत जटिल कार्य है, ब्रह्मा जी ब्रम्ह्लोक से उसका मार्गदर्शन करते हैं ! ब्रम्ह्लोक या गृह ब्रम्ह्लोक कहाँ है यह किसी को पता नहीं, पृथ्वी पर तो यह नही है; अतः वैज्ञानिक दृष्टि से श्रृष्टि की रचना पूर्णत: पृथ्वी सम्बंधित नहीं है ! कुछ मानदंड/प्रचल पृथ्वी से बाहर हैं, जिनका प्रभाव पड़ता है !
2. पालनकर्ता : भगवन विष्णु श्रृष्टि का पालन करते है! उनका निवास विष्णुलोक, या वैकुण्ठ है ! यह भी पृथ्वी पर नहीं है! अतः कुछ मानदंड/प्रचल पृथ्वी से बाहर हैं, जिनका प्रभाव पड़ता है !
3. संघारकर्ता : भगवन शिव इस की जिम्मेदारी लेते है ! उनका निवास स्थान हिमालय है! अतः संघार के समस्त मानदंड/प्रचल पृथ्वी पर है; कोइ भी बाहर नहीं है !
ब्रह्मा विष्णु, महेश के पास श्रृष्टि रचना, पालन करना, तथा संघार करने का भार है !तीनो से सम्बंधित भेद के बाद, अब समझते है सत्यम का अर्थ:
सत्यम, सरल शब्द है जिसका अर्थ है सचाई !
परन्तु जो कुछ भौतिक है और वैज्ञानिक रूप में वर्णित किया जा सकता है सच है ! लेकिन हमे इस विस्तार तक जाने की जरूरत नहीं है! जब हम कहते हैं भगवान शिव सत्यम है, तो शिव ही असली सच है! उनकी उपस्थिति भौतिक है, वह आपके भीतर है, और आप उनके भीतर ! वही आपके जन्म के कारण है, और यही सच्चाई है! वे गंभीरता से हर समय(ध्यान रहे...”हर समय”) आपके पोषण और विकास में लिप्त हैं और यही सच्चाई है ! याद रखें कि ब्रह्मा और विष्णु, बिना शिव के समर्थन और आशीर्वाद के कुछ नहीं कर सकते हैं ! शिव भगवान है इस पृथ्वी के, तथा सदैव वोह इसके पोषण मैं लगे रहते है ! आपकी भलाई मैं उन्हे विशेष रुची है और यही सत्य है ! यही सत्यम है !
एक शिशु से एक बड़ा व्यक्ति बनने मैं, न केवल खुद के परिवार का हाथ होता है, बलिक बाहरी प्रभावों और समर्थन की जरूरत भी होती है. यहाँ पर शिव शिवम हो जाते हैं, अथार्थ वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वोह सभी सूचना और क्षमता, जो कि एक वयस्क बनने के लिए आवश्यक हैं, प्राप्त हो !
शिवम का अर्थ है कि आप सब कुछ देते समय बदले मैं कुछ पाने कि इच्छा न रखें ! यही कारण है कि, माता पार्वती, जो कि एक बहुत धनवान राजकुमारी थी, ने शिव से शादी करने के लिये सब कुछ त्याग दिया ! वोह भली भाती जानती थी कि शिव के पास कभी अपने खुद की रहने के लिये कुटिया भी नहीं हो पायेगी ! उन्हे मालूम था कि शिव शिवम हैं अत्थार्थ सब कुछ के दाता; वोह अपने पास कुछ नहीं रखेंगे! शिव शिवम है, सब कुछ के दाता; और चूंकि आप शिव का एक हिस्सा हैं और शिव आप का एक हिस्सा है, आपको यह सुनिश्चित करना है कि आप भी कुछ हद तक शिवम बन सके, और उनके रंग मैं ढल सकें !
सुन्दरम का अर्थ है सुंदर ! एक वयस्क जब इस दुनिया से संबंध जोड़ता है तब शिव की कृपा से उसे यह अनुभूती होती है कि यह संसार कितना सुंदर है ! ध्यान रहे कि शिव सदैव इस प्रयास मैं लगे रहते हैं कि यह संसार एक सुंदर स्थान रहे ! आपको भी अपना निश्चय प्रकट करना है कि आप इस संसार को सुंदर ही रखेंगे तथा संसार मैं जितने भी संसाधन हैं उन्हे क्षीण नहीं होने देंगे ! ध्यान रहे सुन्दरम के रूप मैं शिव का यह कठोर प्रयास रहता है कि संसार के संसाधन और पर्यावरण नष्ट न होने पाय ! आपकी प्रतिबद्धता के बिना यह संभव नहीं है ! आपको एक सुंदर संसार मिला है, उसे और सुंदर बनाए ! आपका उद्देश शिव की तरह से सुन्दरम बनने का होना चाहिये !
इन सब के बाद जो महत्वपूर्ण है वोह है मृत्यु ! एक सत्य; सत्यम भी आप कह सकते हैं ! और यह चक्र फिर प्रारम्भ हो गया!
राजे
भगवान शिव के वर्णण करने का एक तरीका है ! परन्तु इसका यदी अर्थ समझ लिया जाय तो व्यक्ती अपने जीवन को सुंदर, प्रगतिशील बना सकता है ! आपका जीवन मधुर और सार्थक हो जायेगा ! इस पोस्ट को लिखते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि सब कुछ सरल भाषा मैं हो!
हिंदू मान्यता के अनुसार, विश्व का कार्य तीन भागो मैं है, जो इस प्रकार है :
1. श्रृष्टि रचेता: चुकी श्रृष्टि की रचना अत्यंत जटिल कार्य है, ब्रह्मा जी ब्रम्ह्लोक से उसका मार्गदर्शन करते हैं ! ब्रम्ह्लोक या गृह ब्रम्ह्लोक कहाँ है यह किसी को पता नहीं, पृथ्वी पर तो यह नही है; अतः वैज्ञानिक दृष्टि से श्रृष्टि की रचना पूर्णत: पृथ्वी सम्बंधित नहीं है ! कुछ मानदंड/प्रचल पृथ्वी से बाहर हैं, जिनका प्रभाव पड़ता है !
2. पालनकर्ता : भगवन विष्णु श्रृष्टि का पालन करते है! उनका निवास विष्णुलोक, या वैकुण्ठ है ! यह भी पृथ्वी पर नहीं है! अतः कुछ मानदंड/प्रचल पृथ्वी से बाहर हैं, जिनका प्रभाव पड़ता है !
3. संघारकर्ता : भगवन शिव इस की जिम्मेदारी लेते है ! उनका निवास स्थान हिमालय है! अतः संघार के समस्त मानदंड/प्रचल पृथ्वी पर है; कोइ भी बाहर नहीं है !
ब्रह्मा विष्णु, महेश के पास श्रृष्टि रचना, पालन करना, तथा संघार करने का भार है !तीनो से सम्बंधित भेद के बाद, अब समझते है सत्यम का अर्थ:
सत्यम, सरल शब्द है जिसका अर्थ है सचाई !
परन्तु जो कुछ भौतिक है और वैज्ञानिक रूप में वर्णित किया जा सकता है सच है ! लेकिन हमे इस विस्तार तक जाने की जरूरत नहीं है! जब हम कहते हैं भगवान शिव सत्यम है, तो शिव ही असली सच है! उनकी उपस्थिति भौतिक है, वह आपके भीतर है, और आप उनके भीतर ! वही आपके जन्म के कारण है, और यही सच्चाई है! वे गंभीरता से हर समय(ध्यान रहे...”हर समय”) आपके पोषण और विकास में लिप्त हैं और यही सच्चाई है ! याद रखें कि ब्रह्मा और विष्णु, बिना शिव के समर्थन और आशीर्वाद के कुछ नहीं कर सकते हैं ! शिव भगवान है इस पृथ्वी के, तथा सदैव वोह इसके पोषण मैं लगे रहते है ! आपकी भलाई मैं उन्हे विशेष रुची है और यही सत्य है ! यही सत्यम है !
एक शिशु से एक बड़ा व्यक्ति बनने मैं, न केवल खुद के परिवार का हाथ होता है, बलिक बाहरी प्रभावों और समर्थन की जरूरत भी होती है. यहाँ पर शिव शिवम हो जाते हैं, अथार्थ वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वोह सभी सूचना और क्षमता, जो कि एक वयस्क बनने के लिए आवश्यक हैं, प्राप्त हो !
शिवम का अर्थ है कि आप सब कुछ देते समय बदले मैं कुछ पाने कि इच्छा न रखें ! यही कारण है कि, माता पार्वती, जो कि एक बहुत धनवान राजकुमारी थी, ने शिव से शादी करने के लिये सब कुछ त्याग दिया ! वोह भली भाती जानती थी कि शिव के पास कभी अपने खुद की रहने के लिये कुटिया भी नहीं हो पायेगी ! उन्हे मालूम था कि शिव शिवम हैं अत्थार्थ सब कुछ के दाता; वोह अपने पास कुछ नहीं रखेंगे! शिव शिवम है, सब कुछ के दाता; और चूंकि आप शिव का एक हिस्सा हैं और शिव आप का एक हिस्सा है, आपको यह सुनिश्चित करना है कि आप भी कुछ हद तक शिवम बन सके, और उनके रंग मैं ढल सकें !
सुन्दरम का अर्थ है सुंदर ! एक वयस्क जब इस दुनिया से संबंध जोड़ता है तब शिव की कृपा से उसे यह अनुभूती होती है कि यह संसार कितना सुंदर है ! ध्यान रहे कि शिव सदैव इस प्रयास मैं लगे रहते हैं कि यह संसार एक सुंदर स्थान रहे ! आपको भी अपना निश्चय प्रकट करना है कि आप इस संसार को सुंदर ही रखेंगे तथा संसार मैं जितने भी संसाधन हैं उन्हे क्षीण नहीं होने देंगे ! ध्यान रहे सुन्दरम के रूप मैं शिव का यह कठोर प्रयास रहता है कि संसार के संसाधन और पर्यावरण नष्ट न होने पाय ! आपकी प्रतिबद्धता के बिना यह संभव नहीं है ! आपको एक सुंदर संसार मिला है, उसे और सुंदर बनाए ! आपका उद्देश शिव की तरह से सुन्दरम बनने का होना चाहिये !
इन सब के बाद जो महत्वपूर्ण है वोह है मृत्यु ! एक सत्य; सत्यम भी आप कह सकते हैं ! और यह चक्र फिर प्रारम्भ हो गया!
राजे
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सत्यम शिवम सुंदरम हे एक संस्कृत वाक्य आहे. ह्या वाक्याचा अर्थ खालीलप्रमाणे आहे:
- सत्यम: सत्य, जे Real आहे.
- शिवम: कल्याणकारी, जे चांगले आहे.
- सुंदरम: सुंदर, जे Attractive आहे.
सत्यम शिवम सुंदरम म्हणजे 'सत्य, कल्याणकारी आणि सुंदर' असा होतो. हे वाक्य दर्शवते की सत्य हेच अंतिम कल्याणकारी आहे आणि ते सुंदर आहे.
हे वाक्य अनेकदा कला, साहित्य आणि तत्त्वज्ञानामध्ये वापरले जाते.
अधिक माहितीसाठी आपण हे पाहू शकता: सत्यम शिवम सुंदरम चा अर्थ ? #SatyamShivamSundaram #Meaning #SantKrupaFilms - Sant Krupa Films